रामायण के बारे में रोचक तथ्य ( amazing facts in about ramayana )


  1. ऋषि वाल्मीकि की रामायण में सीता स्वयंवर का कोई जिक्र नहीं है। रामायण के अनुसार ऋषि विश्वामित्र श्री राम और लक्ष्मण जी को अपने साथ मिथिला लेकर गए। वहां पहुँच कर ऋषि विश्वामित्र ने मिथिला नरेश से आग्रह किया कि वे उन्हें शिव धनुष दिखाए। उसी समय खेल-खेल में भगवान राम ने धनुष उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया।
  2. सोने की लंका रावण कि नहीं बल्कि उसके बड़े भाई कुबेर की थी। रावण ने लंका अपने बड़े भाई को विश्व विजय हेतु किये गए युद्ध में हराकर हासिल की थी।
  3. रावण ने पुष्पक विमान भी कुबेर से ही छीना था।
  4. लक्ष्मण 14 वर्ष के निर्वासन के दौरान राम और सीता को बचाने के प्रयास में नहीं सोये थे।
  5. लक्ष्मण के स्थान पर, उनकी पत्नी उर्मिला 14 साल तक सोती थीं
  6. नंदी, बैल, ने रावण को शाप दिया था उन्होंने कहा था कि बंदरों आपके विनाश का कारण बन जाएंगे।
  7. एक युद्ध के दौरान रावण ने शूर्पणखा के पति “विद्युतजिव्ह” का वध कर दिया था। जिस पर शूर्पणखा ने रावण को मन ही मन श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा नाश होगा।
  8. आनंद रामायण जो कि रामायण का संस्कृत रूपांतरण है, के अनुसार रावण ने ना सिर्फ सीता का अपहरण किया था बल्कि वह एक बार राम की मां कौशल्या का भी अपहरण कर चुका था।
  9. ब्रह्मा ने रावण को पहले ही बता दिया था कि दशरथ और कौशल्या का पुत्र उसकी मौत का कारण बनेगा। अपनी मौत को टालने के लिए दशरथ और कैकेयी के विवाह के दिन ही रावण, कौशल्या को एक डब्बे में बंद कर एक सुनसान द्वीप पर छोड़ आया था।
  10. नारद ने रावण की यह हरकत और उस स्थान के बारे में दशरथ को बताया जहां कौशल्या को रखा गया था। दशरथ, रावण से युद्ध करने के लिए अपनी सेना लेकर द्वीप पर पहुंच गए। रावण की राक्षसी सेना के सामने दशरथ की सेना का विनाश हो गया।
  11. लेकिन दशरथ एक लकड़ी के तख्ते के सहारे समुद्र में तैरते रहे और उस बक्से तक पहुंच गए जिसमें कौशल्या को बंधक बनाकर रखा गया था।
  12. रावण को लगता था कि दशरथ भी अपनी सेना के साथ मारे जा चुके हैं इसलिए रावण की नजरों से बचते हुए दशरथ भी कौशल्या के साथ उसी बक्से में चले गए और जल्दी-जल्दी में नारद और अन्य ऋषियों ने वहां पहुंचकर उनका विवाह करवाया।
  13. राम के अलावा कौशल्या और दशरथ की एक और संतान थी, उनकी पुत्री शांता। शांता को उन्होंने अपनी बड़ी बहन वर्षिनी और अंगदेश के महाराज रोंपद को गोद दे दिया था।
  14. रामचरित मानस के अनुसार कि राम-रावण का युद्ध 32 दिन चला था जबकि दोनों सेनाओं के बीच 87 दिन तक युद्ध हुआ.
  15. लंका पहुँचने के लिए समुन्द्र पर रामसेतु का निर्माण करने में सिर्फ 5 दिन लगे थे.
  16. जब बंदर राम सेतु बना रहे थे, एक गिलहरी उन्हें मदद करने की कोशिश की। बंदर ने इसे मजाक किया, लेकिन भगवान राम अपने समर्पण से प्रभावित हुआ। राम ने गिलहरी के पीछे पीटकर सफेद धारियों को अपनी उंगलियों के निशान के रूप में दिखाई दिया।
  17. रामजी के धनुष का नाम कोदंड था.
  18. लंका पर चढ़ाई करने से पहले श्रीराम ने रामेश्वरम में शिव लिंग बना कर शिव अराधना की थी. आज भी रामेश्वरम हिन्दुओं के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थलों में गिना जाता है.
  19. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रामायण काल के तीन लोग आज भी जिंदा है। इनका नाम हनुमान, जामवंत और विभिषण है।
  20. आज उसे रामसेतु कहते हैं ज‍बकि राम ने इस सेतु का नाम नल सेतु रखा था।
  21. रामायण में एक जगह यह भी बताया गया है कि रावण ने भगवान राम के लिए यज्ञ किया था
  22. रावण के दादाजी का अनाम प्रजापति पुलत्स्य था जो ब्रह्मा जी के दस पुत्रो में से एक थे |
  23. जिस दिन रावण सीता का हरण कर अशोक वाटिका में लाया। उसी रात भगवान ब्रह्मा के कहने पर देवराज इंद्र माता सीता के लिए खीर लेकर आए। पहले इंद्र ने अशोक वाटिका के सभी राक्षसों को मोहित कर सुला दिया। उसके बाद माता सीता को खीर अर्पित की। इसे खाने से सीता की भूख-प्यास शांत हो गई।
  24. रावण एक उत्कृष्ट वीणा वादक था जिसके कारण उसके ध्वज में प्रतीक के रूप में वीणा अंकित था|
  25. ऐसा माना जाता है कि जब सीता ने पृथ्वी के अन्दर समाहित होकर अपने शरीर का परित्याग कर दिया तो उसके बाद राम ने सरयू नदी में जल समाधि लेकर पृथ्वीलोक का परित्याग किया था|
  26. जब काफी समय तक राम-रावण का युद्ध चलता रहा तब अगस्त्य मुनि ने श्रीराम से आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करने को कहा, जिसके प्रभाव से भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया।
  27. आधुनिक काल वाले वानर नहीं थे हनुमान जी :- कहा जाता है कि कपि नामक एक वानर जाति थी। हनुमानजी उसी जाति के ब्राह्मण थे।
  28. कहते हैं जब हनुमान जी ने लंका में आग लगाई थी, और वे एक सिरे से दूसरे सिरे तक जा रहे थे, तो उनकी नजर शनि देव पर पड़ गयी ! वे एक कोठरी में बंधे पड़े थे ! हनुमान जी ने उन्हें बंधन मुक्त किया !
  29. विश्व में रामायण का वाचन करने वाले पहले वाचक कोई और नहीं बल्कि स्वयं भगवान श्री राम के पुत्र लव और कुश थे | जिन्होंने रामकथा स्वयं अपने पिता श्री राम के आगे गायी थी | पहली रामकथा पूरी करने के बाद लव कुश ने कहा भी था हे पितु भाग्य हमारे जागे, राम कथा कहि राम के आगे
  30. जिस समय भगवान श्रीराम वनवास गए, उस समय उनकी आयु लगभग 27 वर्ष थी।
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